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Clever Fox and the Lion Hindi Moral Story EP11: चालाक लोमड़ी और शेर की कहानी

 

Clever Fox & the Lion Hindi Moral Story EP11
Clever Fox & the Lion Hindi Moral Story EP11

चालाक लोमड़ी और शेर की कहानी in Hindi Moral Story EP11 

 

Hindi Moral Story EP11: एक बार एक घना जंगल था. उस जंगल में एक लोमड़ी रहती थी. लोमड़ी बहुत शातिर थी. वह हमेशा दूसरों को धोखा देकर अपना काम निकाल लेती थी. एक दिन लोमड़ी जंगल में घूम रही थी कि उसे एक शेरनी दिखाई दी


शेरनी अपने दो बच्चों के साथ खेल रही थी. लोमड़ी ने सोचा कि अगर वह शेरनी के बच्चों को चुरा ले तो शेरनी उसे जरूर मार देगी. लेकिन लोमड़ी बहुत शातिर थी. उसने सोचा कि वह शेरनी के बच्चों को चुराने के लिए एक चाल चलेगी.

 

लोमड़ी शेरनी के पास गई और बोली, "बहन जी, आप अपने बच्चों को इतना अकेला छोड़कर कहाँ जा रही हैं? मैं आपके बच्चों की देखभाल कर सकती हूँ." शेरनी लोमड़ी के धोखे में गई. उसने अपने बच्चों को लोमड़ी के पास छोड़ दिया और चली गई.

 

लोमड़ी ने शेरनी के बच्चों को चुरा लिया और उन्हें अपनी मांद में ले गई. शेरनी जब वापस आई तो उसने देखा कि उसके बच्चे गायब हैं. वह बहुत गुस्सा हुई और लोमड़ी की मांद में गई.

 

शेरनी ने लोमड़ी से पूछा, "मेरे बच्चे कहाँ हैं?" लोमड़ी ने कहा, "मेरे पास आपके बच्चे नहीं हैं." शेरनी ने कहा, "अगर तुमने मेरे बच्चों को छुपाया होगा तो मैं तुम्हें मार डालूँगी."

 

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लोमड़ी ने कहा, "मैं आपके बच्चों को क्यों चुराऊँ? मैं तो आपकी बहन हूँ." शेरनी ने कहा, "तुम मेरी बहन नहीं हो. तुम एक शातिर लोमड़ी हो."

 

शेरनी और लोमड़ी में झगड़ा होने लगा. लोमड़ी ने कहा, "अगर तुम मुझे नहीं मानती हो तो चलो दूसरे जानवरों से पूछते हैं कि मेरे पास तुम्हारे बच्चे हैं या नहीं."

 

शेरनी और लोमड़ी जानवरों के पास गईं. उन्होंने जानवरों से पूछा कि क्या लोमड़ी के पास शेरनी के बच्चे हैं. जानवरों ने कहा, "नहीं, लोमड़ी के पास शेरनी के बच्चे नहीं हैं."

 

शेरनी को बहुत गुस्सा आया. उसने लोमड़ी को मारने के लिए छलांग लगाई. लेकिन लोमड़ी बहुत चालाक थी. वह शेरनी से बच गई और भाग गई.

 

शेरनी को अपने बच्चों की बहुत चिंता हो रही थी. वह रोने लगी. तभी एक बंदर आया और शेरनी से बोला, "बहन जी, तुम क्यों रो रही हो?" शेरनी ने बंदर को बताया कि लोमड़ी ने उसके बच्चों को चुरा लिया है.

 

बंदर ने कहा, "बहन जी, तुम चिंता मत करो. मैं तुम्हारे बच्चों को ढूंढकर लाऊँगा." बंदर लोमड़ी की मांद में गया और शेरनी के बच्चों को ढूंढकर लाया.

 

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शेरनी बहुत खुश हुई. उसने बंदर को धन्यवाद दिया. शेरनी ने लोमड़ी को सबक सिखाने का फैसला किया. वह लोमड़ी की मांद में गई और लोमड़ी को पकड़ लिया.

 

शेरनी ने लोमड़ी से कहा, "अब मैं तुम्हें मार डालूँगी." लोमड़ी ने कहा, "बहन जी, कृपया मुझे मत मारो. मैंने आपसे गलती की है. मैं आगे से कभी ऐसा नहीं करूँगी."

 

शेरनी ने कहा, "ठीक है, मैं तुम्हें इस बार माफ कर देती हूँ. लेकिन अगर तुमने फिर से मेरे बच्चों को चुराने की कोशिश की तो मैं तुम्हें जरूर मार डालूँगी."

 

लोमड़ी ने शेरनी से वादा किया कि वह फिर कभी उसके बच्चों को नहीं चुराएगी. शेरनी ने लोमड़ी को छोड़ दिया.

 

लोमड़ी शेरनी से वादा करके तो चली गई, लेकिन वह अंदर से बहुत गुस्से में थी. उसने सोचा कि शेरनी ने उसे कैसे अपमानित किया. लोमड़ी ने शेरनी से बदला लेने की ठान ली.

 

एक दिन लोमड़ी जंगल में घूम रही थी कि उसे एक शेर दिखाई दिया. शेर जंगल का राजा था. वह बहुत शक्तिशाली था. लोमड़ी ने सोचा कि अगर वह शेर को शेरनी के खिलाफ भड़काए तो शेर शेरनी को मार डालेगा और लोमड़ी का बदला हो जाएगा.

 

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लोमड़ी शेर के पास गई और बोली, "महाराज, मैं आपके पास एक बहुत ही महत्वपूर्ण सूचना देने आई हूँ." शेर ने कहा, "क्या है वह सूचना?"

 

लोमड़ी ने कहा, "महाराज, शेरनी आपके साथ विश्वासघात कर रही है. वह दूसरे शेर के साथ प्रेम करती है." शेर को बहुत गुस्सा आया. उसने लोमड़ी से कहा, "तुम्हारे पास इसका प्रमाण है?"

 

लोमड़ी ने कहा, "महाराज, मेरे पास इसका प्रमाण है. आप आज रात शेरनी के पीछे जाकर देख लीजिए. आप उसे दूसरे शेर के साथ मिलते देखेंगे."

 

शेर ने लोमड़ी की बात मान ली. वह रात में शेरनी के पीछे गया. शेरनी उस समय जंगल में घूम रही थी. शेर ने शेरनी को दूसरे शेर के साथ बात करते देखा. शेर को बहुत गुस्सा आया. उसने शेरनी को मारने के लिए छलांग लगाई.

 

शेरनी ने शेर को देखा और समझ गई कि लोमड़ी ने उसे धोखा दिया है. शेरनी ने शेर को बताया कि लोमड़ी ने उससे झूठ बोला है. लेकिन शेर शेरनी की बात नहीं मान रहा था. उसने शेरनी को मारने की कोशिश की.

 

शेरनी ने अपनी जान बचाने के लिए भागना शुरू किया. शेर शेरनी का पीछा करने लगा. शेरनी और शेर जंगल में बहुत दूर तक भागे.

 

शेरनी बहुत थक गई थी. वह भाग नहीं पा रही थी. शेर ने शेरनी को पकड़ लिया और मारने के लिए अपना पंजा उठाया.

 

तभी वहां वहां वो बंदर गया. बंदर ने शेर से कहा, "महाराज, कृपया शेरनी को मत मारो. ये सब लोमड़ी का किया कराया है उसने आपसे झूठ बोला है. शेरनी आपके साथ विश्वासघात नहीं कर रही है."

 

शेर को बहुत गुस्सा आया. वो तुरंत लोमड़ी के पास गया और उसे मारने के लिए अपना पंजा उठाया. इस बार लोमड़ी बच नहीं पाई और घायल हो गई. ये सब देखकर शेरनी दरियादिली दिखाई और शेर से कहा कि वो लोमड़ी को माफ़ कर दे.

 

ये सब देखकर लोमड़ी की आँखों में आंसू गए और उसने कसम खाई कि वो आज के बाद कभी किसी को परेशान नहीं करेगी. इसके बाद शेर ने भी शेरनी से माफी मांगी. शेरनी ने शेर को माफ कर दिया और दोनों खुशी खुशी रहने लग गए.

 

Moral of the Story: कहानी से क्या सीख मिलती है?

 

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि बुराई का अंत हमेशा बुरा ही होता है और बुराई हमेशा के लिए भी नहीं रहती. क्योंकि एक ना एक दिन उसे खत्म होना ही है.


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